ईटादिया में 443वां उ़़र्से मुजद्दिद अलिफे सानी अ़क़ीदत व एहतिराम और सम्मान के साथ मनाया गया
अपने सरों को अल्लाह की बारगाह में झुकाने के साथ-साथ अपनी क़ौम में एकता और भाईचारा क़ायम करें:अ़ल्लामा पीर सय्यद नूरुल्लाह शाह बुख़ारी
ईटादिया, बाड़मेर
(प्रेस विज्ञप्ति)
दिनांक 7 अगस्त 2025 (12 सफ़रुल-मुजफ्फर 1447 हिजरी) दिन गुरुवार को ईटादा खुर्द(इटादिया), धणाऊ, बाड़मेर में ग़ुलामाने मुस्तफ़ा कमेटी के बैनर तले और सरहंदी जमाअ़त के रहनुमा, पीरे तरीक़त, ख़ादिमे शरीअ़त, सज्जादा नशीन दरगाह मटीयारी शरीफ़ हज़रत पीर ग़ुलाम मुजद्दिद फारूक़ी सरहंदी (बाबा साईं माद्दज़िल्लहुन्नूरानी) की रूहानी सरपरस्ती में इमामे रब्बानी मुजद्दिद अलिफे सानी हज़रत शैख़ अहमद फारूक़ी नक़्शबंदी सरहंदी रहमतुल्लाह अ़लैह का 443वां उ़र्स व जल्सा बड़ी अक़ीदत व मुहब्बत (श्रद्धा), अदब और शानदार व्यवस्था के साथ मनाया गया।
महफ़िल की शुरुआ़त तिलावते क़ुरआन से हुई। उसके बाद दारुल उ़लूम अनवारे मुस्तफ़ा, सेहलाऊ शरीफ़ के होनहार तल्बा(छात्रों) ने नात, मनक़बत और इस्लामी तक़रीरों से सजी धार्मिक प्रस्तुति दी, जिसे वहां मौजूद उ़ल्मा और अ़वामे अहले सुन्नत ने खूब सराहा और बच्चों को इनाम व इकराम के ज़रिए हौसला-अफ़ज़ाई की गई। इसके बाद हज़रत मौलाना मुहतशिम रज़ा अनवारी साहब ने बहुत ही सुंदर नातिया कलाम पेश किया।
फिर हज़रत सय्यद शेर मोहम्मद शाह मटारी (आ़लमसर) ने दीनी और दुनियावी शिक्षा की अहमियत समेत कुछ ज़रूरी बातों पर क़ौम को अ़मलपसंद पैग़ाम दिया। मुख्य और सदारती तक़रीर: दारुल उ़लूम अनवारे मुस्तफ़ा, सेहलाऊ शरीफ़ के प्रमुख(नाज़िमे आला) व शैख़ुल हदीस, शहज़ादा-ए-जहानियां, हज़रत अ़ल्लामा सय्यद नूरुल्लाह शाह बुख़ारी माद्दज़िल्लहुल आ़ली ने इमामे रब्बानी हज़रत शैख अहमद फारूक़ी सरहंदी रहमतुल्लाह अ़लैह की सीरत के हवाले से इस्लाम के अरकान, खासकर नमाज़े पाँचगाना, बच्चों की निगरानी और उन्हें दीनी-दुनियावी तालीम देने, ग़लत सोहबतों से खुद को और बच्चों को बचाने, नशे की चीज़ों से परहेज़ करने, आपसी एकता और सियासी ताक़त को मज़बूत करने पर ज़ोर दिया। आपने सरहंदी जमाअ़त से ताल्लुक रखने वाले मुरीदीन और दुसरे सभी मशायख़े तरीक़त के चाहने वालों से कहा कि सिर्फ़ उ़़र्स और जल्से मनाना ही असल काम नहीं, बल्कि अपने मुर्शिदीन की तालीमात पर अ़मल करना ज़्यादा ज़रूरी और बुनियादी काम है।
आपने "पीरी-मुरीदी" के आदाब और शराइत पर भी रौशनी डाली और बहुत ही हिकमत के साथ औ़रतों के मज़ारों पर जाने और दूसरी ग़लत रस्मों से लोगों को रोका। कुल मिलाकर आपने लोगों को शरीअ़त के हुक्मों पर चलने और हर तरह की मना की हुई चीज़ों से बचने की नसीहत दी। खास नात और मनक़बत ख़्वानी: प्रसिद्ध नातख़्वां हज़रत मौलाना क़ारी मोहम्मद जावेद साहब सिकन्दरी अनवारी साहब ने अदा की। जबकि प्रोग्राम की निज़ामत मौलाना मोहम्मद हुसैन क़ादरी अनवारी (निगरान: शाखाए, दारुल उ़लूम अनवारे मुस्तफ़ा) ने बखूबी निभाई। इस धार्मिक कार्यक्रम में विशेष रूप से शामिल रहे: हज़रत सय्यद मिठन शाह मटारी सरपंच, आ़लमसर,हज़रत सय्यद टोअर शाह मटारी बामनोर, हज़रत सय्यद सोहबत अ़ली शाह मटारी आ़लमसर,हज़रत सय्यद मीर मोहम्मद शाह क़ादरी अर्टी, हज़रत अ़ल्लामा मौलाना मोहम्मद शमीम अहमद नूरी मिस्बाही नाज़िमे तालीमात, दारुल उ़लूम अनवारे मुस्तफ़ा, सेहलाऊ शरीफ,मौलाना बाक़िर हुसैन क़ादरी अनवारी,मौलाना ग़ुलाम रसूल साहब ख़तीब व इमाम, जामा मस्जिद, ईटादा,मौलाना अ़ब्दुल हलीम ख़तीब व इमाम, जामा मस्जिद, कोनरा,मौलाना उ़बैदुल्लाह मिठे का तला,मौलाना शुमार अ़ली अनवारी ख़तीब व इमाम, छोटा ईटादा,मौलाना लाल मोहम्मद ईटादा,मौलाना शाकिर अ़ली अनवारी,क़ारी अ़ब्दुल वाहिद अनवारी,मौलाना मोहम्मद उ़़र्स सिकन्दरी अनवारी एवं सरहंदी जमाअ़त के तमाम खुलफ़ा.... आख़िर में सलातो-सलाम पढ़ा गया और हज़रत क़िब्ला पीर सय्यद नूरुल्लाह शाह बुख़ारी साहब की दुआ़ के साथ ये मुबारक महफ़िल समाप्त हुई।
उक्त जानकारी हज़रत मौलाना मोहम्मद शुमार अ़ली क़ादरी अनवारी
मीडिया इंचार्ज,
मुहब्बाने जहानियां कमेटी, दारुल उ़लूम अनवारे मुस्तफ़ा,सेहलाऊ शरीफ़,
बाड़मेर,राजस्थान ने प्रेस रिलीज़ के माध्यम से दी।